शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

ये मैं हूँ

ख्यात नाम हज्जाम हूं ,
नाम दिलीप कुमार है ।
पर दढियलों का शहर है ये ,
मेरा हर हुनर बेकार है ॥

मस्तमौला मुसाफिर हूँ ,
मेरा हर अंदाज निराला है।
जिन हादसों में लोग मरते हैं,
उन्ही हादसों ने मुझको पाला है॥

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